ब्राम्हण के घर चोरी की कहानी
बहुत समय पहले, एक गरीब ब्राह्मण अपने परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहता था। उनके शिष्य उन्हें भोजन और कपड़े देने में मदद करते थे। ब्राह्मण किसी तरह अपना दिन गुजारने में कामयाब रहता था।
एक दिन, ब्राह्मण के एक शिष्य ने उपहार के रूप में दो बछड़े दिये। वह बहुत खुश था। हालाँकि उन्हें बछड़ों के लिए चारे और अनाज की व्यवस्था करने में कठिनाई हो रहा था, लेकिन वे दोनों बछड़ों को चारा खिलाने में कामयाब रहे। साल बीतते गए और बछड़े बड़े हो गए ।
ब्राह्मण बैल गाड़ी से अपना समान ले जाया करता था
उसी समय एक चोर ने ब्राह्मण के बैल को देखा और सोचा कि बैल को चुरा कर बेच दिया जाए।
उसी शाम, ब्राह्मण के घर चोर चोरी करने के लिए चला गया। चोर को एक भयंकर दानव ने रोक लिया।
दानव ने कहा "मैं भूखा हूँ। मैं तुम्हें खाऊंगा।
चोर ने कहा रुको! रुको, प्रिय मित्र! मैं एक चोर हूं, मैं ब्राह्मण के घर पर उसके बैल चोरी करने के लिए जा रहा हूं। तुम मेरे बजाय ब्राह्मण को खा सकते हो, ”चोर ने कहा।
दानव मान गया। चोर और दानव ब्राह्मण के घर की ओर बढ़े। ब्राह्मण के घर पहुँच कर चोर ने कहा, “मुझे बैल लेने दो और उसके बाद आप ब्राह्मण को खा सकते हैं। ”
दानव ने कहा नहीं मुझे पहले ब्राह्मण को खाने दो मुझे भूख लगी है। दोनों झगड़ने लगे।
शोर से ब्राह्मण जाग गया। जैसे ही उसने दानव को देखा, ब्राह्मण ने कुछ मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया। उस मंत्र से दानव भस्म हो गया। और चोर को पकड़ लिया।
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