पिंजरे का जीवन हिन्दी कहानियां
एक पिंजरे में कैद तोता रहता था। जो बहुत उदास रहता। तोता पिंजरे से सोचता रहता कि काश मैं भी अन्य जीवों की तरह स्वतंत्र होता और दुनिया का सैर करता । लेकिन ये पिंजरे का जीवन, हमें कब पिंजरे से मुक्ति मिलेगी। यह सोचकर तोता मन ही मन रोने लगा।
इतने में मैना आकर पिंजरे के पास बैठ गया।
मैना बोलने लगा- भाई तोता आप इस पिंजरे में आनंदपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते होंगे और आपको इस पिंजरे में अलग - अलग प्रकार के व्यंजन मिलते होंगे। हमें भी ऐसा जीवन मिलता
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तोता (चलाकी से)- हां भाई मैना मैं इस पिंजरे में आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करता हूं।
मैना- हम भोजन के लिए दिन रात मेहनत करते हैं, मेहनत के फलस्वरूप हमें भोजन मिलता है।
तोता( चलाकी से)- भाई मैना यहां मुझे अलग - अलग प्रकार के व्यंजन मिलते हैं। कभी भूखा नहीं रहना पड़ता है। हर रोज भरपेट भोजन मिलता है, भाई मैना चाहो तो तुम पिंजरे में रह सकते हों जिससे तुम्हें भोजन की तलाश नहीं करना पड़ेगा।
मैना( खुशी से)- भाई तोता पिंजरे में मैं रहूंगा तो आप कहां रहोगे ।
तोता- मेरा चिन्ता मत करो भाई मैना मैं वन में निवास करुंगा और भोजन का तलाश करूंगा। आप की खुशी में ही मेरी खुशी है। पिंजरे खोलकर अंदर आ जाओ और जीलो अपनी जिंदगी ।
मैना- आप कहते हैं तो ठीक है
जैसे ही मैना ने बंद पिंजरे खोला तोता बाहर निकल गया और मैना अंदर चला गया ।
तोता स्वतंत्र हो गया और उड़ गया। थोड़ी देर बाद पिंजरे के अंदर मैना का दम घुटने लगा ।
पछताने लगा की मैं वन में ही सुरक्षित था
सीख- किसी भी कार्य को करने से पहले सोच लेना चाहिए।
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